7.10.19

विशिष्ट कवियों की चयनित कविताओं की सूची (लिंक्स)





काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: सरहदें बुला रहीं.- डॉ॰दयाराम आलोक


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: यह वासंती शाम -डॉ.आलोक


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: तुमने मेरी चिर साधों को झंकृत और साकार किया है.- डॉ॰दयाराम आलोक


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गांधी के अमृत वचन हमें अब याद नहीं.: डॉ॰दयाराम आलोक


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: प्रणय-गीत- डॉ॰दयाराम आलोक


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: रात और प्रभात.-डॉ॰दयाराम आलोक


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: हम भारत की शान हैं-डॉ.दयाराम आलोक


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: उन्हें मनाने दो दीवाली-- डॉ॰दयाराम आलोक


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: " आओ आज करें अभिनंदन." डॉ.दयाराम आलोक

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जब तक जगती में अंधकार - डॉ॰दयाराम आलोक

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: सुमन कैसे सौरभीले: डॉ॰दयाराम आलोक


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: हिमालय के आँगन में - jay shankar prasad

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मिट्टी की महिमा | शिवमंगल सिंह ‘सुमन’


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: panchvati poem -Maithili Sharan Gupt पंचवटी कविता - मैथिली शरण गुप्त


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: वे मुसकाते फूल- कविता - महादेवी वर्मा

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मुरझाया फूल - महादेवी वर्मा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: स्वतन्त्रता पुकारती - जय शंकर प्रसाद


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अरुण यह मधुमय देश हमारा -जय शंकर प्र

साद

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बावरा अहेरी (कविता) - अज्ञेय


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बड़े अरमान से रखा है बलम तेरी कसम- इंदीवर


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: सुदामा चरित - नरोत्तम दास


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: रश्मिरथी - रामधारी सिंह दिनकर


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: हम पंछी उन्मुक्त गगन के -- शिवमंगल सिंह सुमन


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: एक शहीद बेटे की अपनी माँ के प्रति भावना


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मैं अमर शहीदों का चारण-श्री कृष्ण सरल


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बीती विभावरी जाग री! jai shankar prasad

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: उर्वशी /रामधारी सिंह 'दिनकर'

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कुछ तो लोग कहेंगे / आनंद बख़्शी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: पंचवटी/मैथिली शरण गुप्त/पृष्ठ 7 से13


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: पंचवटी / मैथिलीशरण गुप्त/ पेज 1 से 6


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: प्रिय प्रवास -अयोध्या सिंह उपाध्याय "हरिओध"

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: लहर कविता-जय शंकर प्रसाद


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: प्रथम रश्मि / सुमित्रानंदन पंत

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कामायनी - महाकाव्य -जयशंकर प्रसाद

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बन्द करो मधु की ,गोपालदास "नीरज"

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से ,गोपालदास "नीरज"


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बन्द करो मधु की , गोपालदास "नीरज"


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: आत्‍मकथ्‍य - जयशंकर प्रसाद


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: सूरदास के पद


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: घाघ कवि के दोहे -घाघ


घरेलू आयुर्वेदिक उपचार के 500 लेख की लिंक-सूची 

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गाढे अंधेरे में , अशोक वाजपेयी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मुझको भी राधा बना ले नंदलाल - बालकवि बैरागी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: तू चंदा मैं चांदनी, तू तरुवर मैं शाख रे - बालकवि बैरागी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ग्राम नारी - सुमित्रानंदन पंत


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ग्राम - सुमित्रानंदन पंत


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जाड़े की धूप - सर्वेश्वरदयाल सक्सेना


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: शुभकामनाएँ - सर्वेश्वरदयाल सक्सेना


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: साँसो का हिसाब -शिव मंगल सिंग 'सुमन"


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: राम की शक्ति पूजा -सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बादल राग -सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: प्रेयसी-सूर्यकांत त्रिपाठी निराला


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बिहारी कवि के दोहे


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: झुकी कमान -चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी'


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कबीर की साखियाँ - कबीर


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: भक्ति महिमा के दोहे -कबीर दास


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गुरु-महिमा - कबीर


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: लगता नहीं है जी मेरा - ज़फ़र


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया - दाग़ देहलवी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: तुम कभी थे सूर्य - चंद्रसेन विराट

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मै ना भूलूँगा, संतोषानन्द


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: सूरज पर प्रतिबंध अनेकों , कुमार विश्वास


कोई दीवाना कहता है (कविता) , कुमार विश्वास

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मज़दूरों का गीत , गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: रहीम के दोहे -रहीम कवि


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जागो मन के सजग पथिक ओ! , फणीश्वर नाथ रेणु


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बेटी के घर से लौटना ,चन्द्रकान्त देवताले

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: दुनिया का सबसे ग़रीब आदमी , चन्द्रकान्त देवताले


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मैं आता रहूँगा तुम्हारे लिए , चन्द्रकान्त देवताले


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: वह चिड़िया जो , केदारनाथ अग्रवाल


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: घोर धनुर्धर, बाण तुम्हारा सब प्राणों को पार करेगा , गजानन माधव मुक्तिबोध


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: रात, चलते हैं अकेले ही सितारे , गजानन माधव मुक्तिबोध


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अँजुरी भर धूप , धर्मवीर भारती


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मेरी चुनरी उड़ाए लियो जाए / गोपाल सिंह नेपाली


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मेरा धन है स्वाधीन क़लम , गोपाल सिंह नेपाली


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: यह दिया बुझे नहीं , गोपाल सिंह नेपाली


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बाबुल तुम बगिया के तरुवर , गोपाल सिंह नेपाली


मोहब्बत का जहाँ है और मैं हूँ , 'क़मर' मुरादाबादी

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बे-नकाब उन की जफाओं को किया है मैंने-'क़मर' मुरादाबादी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मुझे अकेला ही रहने दो-गोपाल शरण सिंह


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मैं हूँ अपराधी किस प्रकार?/ गोपालशरण सिंह


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: शांति रहे पर क्रांति रहे ! , गोपालशरण सिंह


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कुम्हलाये हैं फूल – ठाकुर गोपाल शरण सिंह

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मोची की आँखों में - शलभ श्रीराम सिंह

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कोशिश करने वालों की हार नहीं होती - सोहनलाल द्विवेदी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: वह देश कौन सा है - रामनरेश त्रिपाठी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ -महादेवी वर्मा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मधुर-मधुर मेरे दीपक जल - महादेवी वर्मा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: औरत पालने को कलेजा चाहिये - शैल चतुर्वेदी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कवि सम्मेलन, टुकड़े-टुकड़े हूटिंग - शैल चतुर्वेदी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गांधी की गीता - शैल चतुर्वेदी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार -शिवमंगलसिंह सुमन


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मैं बढ़ा ही जा रहा हूँ-शिवमंगल सिंह 'सुमन


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: हम पंछी उन्मुक्त गगन के-शिवमंगल सिंह 'सुमन'


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जंगल गाथा -अशोक चक्रधर


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मेमने ने देखे जब गैया के आंसू - अशोक चक्रधर

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: पथहारा वक्तव्य - अशोक वाजपेयी

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कितने दिन और बचे हैं? - अशोक वाजपेयी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: राधे राधे श्याम मिला दे -भजन


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का-sahir ludhiyanavi


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: हम आपके हैं कौन - बाबुल जो तुमने सिखाया-Ravindra Jain


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: नदिया के पार - जब तक पूरे न हो फेरे सात-Ravidra jain


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ऐसे हैं सुख सपन हमारे - नरेन्द्र शर्मा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गंगा, बहती हो क्यूँ - नरेन्द्र शर्मा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जब दीप जले आना जब शाम ढले आना - रविन्द्र जैन


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अँखियों के झरोखों से - रविन्द्र जैन


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: किसी पत्थर की मूरत से मुहब्बत का इरादा है - साहिर लुधियानवी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया - साहिर लुधियानवी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: इस रेशमी पाज़ेब की झंकार के सदके - साहिर लुधियानवी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अब कोई गुलशन ना उजड़े - साहिर लुधियानवी

manjusha: कुछ बातें अधूरी हैं, कहना भी ज़रूरी है-- राहुल प्रसाद (महुलिया पलामू)

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से -गोपालदास "नीरज"


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: यात्रा और यात्री - हरिवंशराय बच्चन


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: शक्ति और क्षमा - रामधारी सिंह "दिनकर"


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: राणा प्रताप की तलवार -श्याम नारायण पाण्डेय


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: वीरों का कैसा हो वसंत - सुभद्राकुमारी चौहान


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कृष्ण की चेतावनी -रामधारी सिंह "दिनकर"


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ले चल वहाँ भुलावा देकर - जयशंकर प्रसाद


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कलम, आज उनकी जय बोल -रामधारी सिंह "दिनकर"

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: आह! वेदना मिली विदाई-जयशंकर प्रसाद


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अश्रु यह पानी नहीं है-महादेवी वर्मा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोसिताँ हमारा-अल्लामा इकबाल
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काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गोपालदास "नीरज"


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मीत चुभे शूल से


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: स्वप्न झरे फूल से


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: यात्रा और यात्री


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: साँस चलती है तुझे च

लना पड़ेगा ही मुसाफिर!

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: हरिवंशराय बच्चन


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: क्षमा शोभती उस भुजंग को


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: रामधारी सिंह "दिनकर"


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: शक्ति और क्षमा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: चढ़ चेतक पर तलवार उठा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: राणा प्रताप की तलवार


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: श्याम नारायण पाण्डेय


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: वीरों का कैसा हो वसंत


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: सुभद्राकुमारी चौहान


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कृष्ण की चेतावनी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जयशंकर प्रसाद


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ले चल वहाँ भुलावा देकर


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: -जय शंकर प्रसाद


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: 'क़मर' मुरादाबादी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अँखियों के झरोखों से


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अँजुरी भर धूप


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अज्ञेय


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अब कोई गुलशन ना उजड़े


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अमराई


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अरुण यह मधुमय देश हमारा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अलबेलों का मस्तानों का


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अल्लामा इकबाल


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अशोक चक्रधर


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अशोक वाजपेयी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अश्रु यह पानी नहीं है


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: आओ आज करें अभिनंदन."- डॉ॰दयाराम आलोक


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: आज उनकी जय बोल - रामधारी सिंह "दिनकर"


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: आत्‍मकथ्‍य


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: आह! वेदना मिली विदाई


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: इस रेशमी पाज़ेब की झंकार के सदके


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: उन्हें मनाने दो दीवाली


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: उर्वशी /रामधारी सिंह 'दिनकर'


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ऊंचा मस्तक सदा रहेगा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: एक शहीद बेटे की अपनी माँ के प्रति भावना


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ऐसे हैं सुख सपन हमारे


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: औरत पालने को कलेजा चाहिये


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कबीर


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कबीर की साखियाँ


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कबीर दास


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कलम


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कवि सम्मेलन टुकड़े-टुकड़े हूटिंग


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कविता


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कहना भी ज़रूरी है


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कामायनी - महाकाव्य -जयशंकर प्रसाद


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कितने दिन और बचे हैं?


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: किसी पत्थर की मूरत से मुहब्बत का इरादा है


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कुछ तो लोग कहेंगे / आनंद बख़्शी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कुछ बातें अधूरी हैं


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कुमार विश्वास


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कुम्हलाये हैं फूल


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कोई दीवाना कहता है (कविता) .कुमार विश्वास


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कोशिश करने वालों की हार नहीं होती


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गंगा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ग़ज़ब किया तेरे वादे पे ऐतबार किया


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गजानन माधव मुक्तिबोध


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गांधी की गीता


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गांधी के अमृत वचन हमें अब याद नहीं.: डॉ॰दयाराम आलोक


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गाढे अंधेरे में


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गुरु-महिमा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गोपाल शरण सिंह


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गोपाल सिंह नेपाली


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गोपालशरण सिंह


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ग्राम


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ग्राम नारी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: घाघ कवि के दोहे


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: घोर धनुर्धर


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी'


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: चंद्रसेन विराट


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: चन्द्रकान्त देवताले


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: चलते हैं अकेले ही सितारे


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जंगल गाथा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ज़फ़र


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जब तक पूरे न हो फेरे सात


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जब दीप जले आना जब शाम ढले आना


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जब वसंत बौराए.


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जय शंकर प्रसाद


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जागो मन के सजग पथिक ओ!


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जाड़े की धूप


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ज्योति पर्व


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: झुकी कमान


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ठाकुर गोपाल शरण सिंह


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: डॉ॰दयाराम आलोक


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: डॉ॰दयाराम आलोक जब तक जगती में अंधकार


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: तिमिर


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: तुम कभी थे सूर्य


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: तुमने मेरी चिर साधों को


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: तू चंदा मैं चांदनी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: तू तरुवर मैं शाख रे


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: दाग़ देहलवी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: दीप जल रहा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: दीप पर्व


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: दीपावली


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: दीपोत्सव


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: दीवाली


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: दुनिया का सबसे ग़रीब आदमी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: दुर्बल द्रुम का पीत पत्र


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: धर्मवीर भारती


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ध्वज फहराएंगे


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: नदिया के पार


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: नरेन्द्र शर्मा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: नौजंवा बढे चलो


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: पंचवटी / मैथिलीशरण गुप्त


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: पंचवटी/मैथिली शरण गुप्त/पृष्ठ 7 से13


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: पथहारा वक्तव्य


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: प्रणय गीत


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: प्रथम रश्मि


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: प्रिय प्रवास -अयोध्या सिंह उपाध्याय "हरिओध"


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: प्रेयसी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: फणीश्वर नाथ रेणु


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: फिल्म नागपंचमी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बड़े अरमान से रखा है बलम तेरी कसम- इंदीवर


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बन्द करो मधु की


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बहती हो क्यूँ


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बाण तुम्हारा सब प्राणों को पार करेगा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बादल राग


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बाबुल जो तुमने सिखाया


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बाबुल तुम बगिया के तरुवर


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बालकवि बैरागी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बावरा अहेरी (कविता)


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बिहारी कवि के दोहे


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बीती विभावरी जाग री!


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बे-नकाब उन की जफाओं को किया है मैंने


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: बेटी के घर से लौटना


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: भक्ति महिमा के दोहे


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: भजन


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: भूले बिसरे क्षण


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मज़दूरों का गीत


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मधुर-मधुर मेरे दीपक जल


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: महादेवी वर्मा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मातृभूमि सम्मान


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मुझको भी राधा बना ले नंदलाल


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मुझे अकेला ही रहने दो


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मुरझाया फूल - महादेवी वर्मा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मेमने ने देखे जब गैया के आंसू


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मेरा धन है स्वाधीन क़लम


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मेरी चुनरी उड़ाए लियो जाए


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मै ना भूलूँगा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मैं अमर शहीदों का चारण


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मैं आता रहूँगा तुम्हारे लिए


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मैं बढ़ा ही जा रहा हूँ


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मैं हूँ अपराधी किस प्रकार?


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मोची की आँखों में


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मोहब्बत का जहाँ है और मैं हूँ


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: यह दिया बुझे नहीं


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ये देश है वीर जवानों का


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: रविन्द्र जैन


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: रश्मि अस्त्रों से


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: रश्मिरथी - रामधारी सिंह दिनकर


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: रहीम कवि


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: रहीम के दोहे


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: राणा प्रताप


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: रात


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: रात और प्रभात


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: राधे राधे


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: राधे राधे श्याम मिला दे


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: राम की शक्ति पूजा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: रामनरेश त्रिपाठी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: राहुल प्रसाद (महुलिया पलामू)


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: लगता नहीं है जी मेरा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: लहर कविता-जय शंकर प्रसाद


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: वतन की पुकार


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: वह चिड़िया जो . केदारनाथ अग्रवाल


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: वह देश कौन सा है


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: वासंती शाम


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: वे मुसकाते फूल


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: वेणु का स्वर


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: शलभ श्रीराम सिंह


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: शांति रहे पर क्रांति रहे


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: शिव मंगल सिंग 'सुमन"


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: शिवमंगल सिंह 'सुमन


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: शिवमंगल सिंह 'सुमन'


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: शिवमंगल सिंह सुमन


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: शिवमंगलसिंह सुमन


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: शिवाजी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: शुभकामनाएँ


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: शुष्क प्राण निर्झर


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: शैल चतुर्वेदी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: श्री कृष्ण सरल


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: संतोषानन्द


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: सरहदें बुला रहीं


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: सर्वेश्वरदयाल सक्सेना


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: साँसो का हिसाब


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोसिताँ हमारा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: साहिर लुधियानवी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: सुदामा चरित - नरोत्तम दास


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: सुमन कैसे सौरभीले


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: सुमित्रानंदन पंत


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: सुरभित सुमन


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: सूरज पर प्रतिबंध अनेकों


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: सूरदास के पद


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: सूर्यकांत त्रिपाठी निराला


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: सोहनलाल द्विवेदी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: स्वतन्त्रता दिवस


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: स्वप्न झरे फूल से मीत चुभे शूल से


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: स्वाधीनता दिवस


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: हम आपके हैं कौन


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: हम तुम गीत प्रणय के गाएं


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: हम पंछी उन्मुक्त गगन के


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: हिमालय के आँगन में


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: jai shankar prasad


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: jaishankar prasad


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: Mitti ki Mahima By Shivmangal Singh Suman | मिट्टी की महिमा | शिवमंगल सिंह ‘सुमन’


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: panchvati poem -Maithili Sharan Gupt पंचवटी कविता - मैथिली शरण गुप्त


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गोपालदास "नीरज"


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: मीत चुभे शूल से


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: स्वप्न झरे फूल से


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: यात्रा और यात्री


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: साँस चलती है तुझे चलना पड़ेगा ही मुसाफिर!


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: हरिवंशराय बच्चन

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: क्षमा शोभती उस भुजंग को


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: रामधारी सिंह "दिनकर"


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: शक्ति और क्षमा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: चढ़ चेतक पर तलवार उठा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: राणा प्रताप की तलवार


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: श्याम नारायण पाण्डेय


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: वीरों का कैसा हो वसंत


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: सुभद्राकुमारी चौहान


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कृष्ण की चेतावनी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जयशंकर प्रसाद


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ले चल वहाँ भुलावा देकर


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: -जय शंकर प्रसाद


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: 'क़मर' मुरादाबादी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अँखियों के झरोखों से

काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अँजुरी भर धूप


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अज्ञेय


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अब कोई गुलशन ना उजड़े


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अमराई


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अरुण यह मधुमय देश हमारा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अलबेलों का मस्तानों का


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अल्लामा इकबाल


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अशोक चक्रधर


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अशोक वाजपेयी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: अश्रु यह पानी नहीं है


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: आओ आज करें अभिनंदन."- डॉ॰दयाराम आलोक


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: आज उनकी जय बोल - रामधारी सिंह "दिनकर"


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: आत्‍मकथ्‍य


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: आह! वेदना मिली विदाई


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: इस रेशमी पाज़ेब की झंकार के सदके


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: उन्हें मनाने दो दीवाली


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: उर्वशी /रामधारी सिंह 'दिनकर'


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ऊंचा मस्तक सदा रहेगा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: एक शहीद बेटे की अपनी माँ के प्रति भावना


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ऐसे हैं सुख सपन हमारे


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: औरत पालने को कलेजा चाहिये


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कबीर


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कबीर की साखियाँ


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कबीर दास


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कलम


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कवि सम्मेलन टुकड़े-टुकड़े हूटिंग


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कविता


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कहना भी ज़रूरी है


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कामायनी - महाकाव्य -जयशंकर प्रसाद


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कितने दिन और बचे हैं?


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: किसी पत्थर की मूरत से मुहब्बत का इरादा है


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कुछ तो लोग कहेंगे / आनंद बख़्शी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कुछ बातें अधूरी हैं


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कुमार विश्वास


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कुम्हलाये हैं फूल


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कोई दीवाना कहता है (कविता) .कुमार विश्वास


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: कोशिश करने वालों की हार नहीं होती


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गंगा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ग़ज़ब किया तेरे वादे पे ऐतबार किया


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गजानन माधव मुक्तिबोध


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गांधी की गीता


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गाढे अंधेरे में


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गुरु-महिमा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गोपाल शरण सिंह


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गोपाल सिंह नेपाली


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: गोपालशरण सिंह


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ग्राम
काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ग्राम नारी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: घाघ कवि के दोहे


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: घोर धनुर्धर


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी'


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: चंद्रसेन विराट


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: चन्द्रकान्त देवताले


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: चलते हैं अकेले ही सितारे


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जंगल गाथा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ज़फ़र


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जब तक पूरे न हो फेरे सात


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जब दीप जले आना जब शाम ढले आना


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जब वसंत बौराए.


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जय शंकर प्रसाद


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जागो मन के सजग पथिक ओ!


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: जाड़े की धूप


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ज्योति पर्व


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: झुकी कमान


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ठाकुर गोपाल शरण सिंह


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: डॉ॰दयाराम आलोक


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: डॉ॰दयाराम आलोक जब तक जगती में अंधकार


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: तिमिर


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: तुम कभी थे सूर्य


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: तू चंदा मैं चांदनी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: तू तरुवर मैं शाख रे


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: दाग़ देहलवी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: दीप जल रहा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: दीप पर्व


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: दीपावली


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: दीपोत्सव


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: दीवाली


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: दुनिया का सबसे ग़रीब आदमी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: धर्मवीर भारती


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: ध्वज फहराएंगे


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: नदिया के पार


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: नरेन्द्र शर्मा


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: नौजंवा बढे चलो


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: पंचवटी / मैथिलीशरण गुप्त


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: पंचवटी/मैथिली शरण गुप्त/पृष्ठ 7 से13


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: पथहारा वक्तव्य


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: प्रणय गीत


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: प्रथम रश्मि


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: प्रिय प्रवास -अयोध्या सिंह उपाध्याय "हरिओध"


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: प्रेयसी


काव्य-मंजूषा-kavya manjusha: फणीश्वर नाथ रेणु


18.8.19

यात्रा और यात्री - हरिवंशराय बच्चन




साँस चलती है तुझे
चलना पड़ेगा ही मुसाफिर!

चल रहा है तारकों का
दल गगन में गीत गाता,
चल रहा आकाश भी है
शून्य में भ्रमता-भ्रमाता,
पाँव के नीचे पड़ी
अचला नहीं, यह चंचला है,
एक कण भी, एक क्षण भी
एक थल पर टिक न पाता,
शक्तियाँ गति की तुझे
सब ओर से घेरे हु‌ए है;
स्थान से अपने तुझे
टलना पड़ेगा ही, मुसाफिर!
साँस चलती है तुझे
चलना पड़ेगा ही मुसाफिर!

थे जहाँ पर गर्त पैरों
को ज़माना ही पड़ा था,
पत्थरों से पाँव के
छाले छिलाना ही पड़ा था,
घास मखमल-सी जहाँ थी
मन गया था लोट सहसा,
थी घनी छाया जहाँ पर
तन जुड़ाना ही पड़ा था,
पग परीक्षा, पग प्रलोभन
ज़ोर-कमज़ोरी भरा तू
इस तरफ डटना उधर
ढलना पड़ेगा ही, मुसाफिर;
साँस चलती है तुझे
चलना पड़ेगा ही मुसाफिर!

शूल कुछ ऐसे, पगो में
चेतना की स्फूर्ति भरते,
तेज़ चलने को विवश
करते, हमेशा जबकि गड़ते,
शुक्रिया उनका कि वे
पथ को रहे प्रेरक बना‌ए,
किन्तु कुछ ऐसे कि रुकने
के लि‌ए मजबूर करते,
और जो उत्साह का
देते कलेजा चीर, ऐसे
कंटकों का दल तुझे
दलना पड़ेगा ही, मुसाफिर;
साँस चलती है तुझे
चलना पड़ेगा ही मुसाफिर!

सूर्य ने हँसना भुलाया,
चंद्रमा ने मुस्कुराना,
और भूली यामिनी भी
तारिका‌ओं को जगाना,
एक झोंके ने बुझाया
हाथ का भी दीप लेकिन
मत बना इसको पथिक तू
बैठ जाने का बहाना,
एक कोने में हृदय के
आग तेरे जग रही है,
देखने को मग तुझे
जलना पड़ेगा ही, मुसाफिर;
साँस चलती है तुझे
चलना पड़ेगा ही मुसाफिर!

वह कठिन पथ और कब
उसकी मुसीबत भूलती है,
साँस उसकी याद करके
भी अभी तक फूलती है;
यह मनुज की वीरता है
या कि उसकी बेहया‌ई,
साथ ही आशा सुखों का
स्वप्न लेकर झूलती है
सत्य सुधियाँ, झूठ शायद
स्वप्न, पर चलना अगर है,
झूठ से सच को तुझे
छलना पड़ेगा ही, मुसाफिर;
साँस चलती है तुझे
चलना पड़ेगा ही मुसाफिर!
****************
पाटीदार जाति की जानकारी

साहित्यमनीषी डॉ.दयाराम आलोक से इंटरव्यू

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कायस्थ समाज की कुलदेवियाँ

7.8.19

शक्ति और क्षमा - रामधारी सिंह "दिनकर"




क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल
सबका लिया सहारा
पर नर व्याघ्र सुयोधन तुमसे
कहो, कहाँ, कब हारा?

क्षमाशील हो रिपु-समक्ष
तुम हुये विनत जितना ही
दुष्ट कौरवों ने तुमको
कायर समझा उतना ही।

अत्याचार सहन करने का
कुफल यही होता है
पौरुष का आतंक मनुज
कोमल होकर खोता है।

क्षमा शोभती उस भुजंग को
जिसके पास गरल हो
उसको क्या जो दंतहीन
विषरहित, विनीत, सरल हो।

तीन दिवस तक पंथ मांगते
रघुपति सिन्धु किनारे,
बैठे पढ़ते रहे छन्द
अनुनय के प्यारे-प्यारे।

उत्तर में जब एक नाद भी
उठा नहीं सागर से
उठी अधीर धधक पौरुष की
आग राम के शर से।

सिन्धु देह धर त्राहि-त्राहि
करता आ गिरा शरण में
चरण पूज दासता ग्रहण की
बँधा मूढ़ बन्धन में।

सच पूछो, तो शर में ही
बसती है दीप्ति विनय की
सन्धि-वचन संपूज्य उसी का
जिसमें शक्ति विजय की।

सहनशीलता, क्षमा, दया को
तभी पूजता जग है
बल का दर्प चमकता उसके
पीछे जब जगमग है।
*******************
पाटीदार जाति की जानकारी

साहित्यमनीषी डॉ.दयाराम आलोक से इंटरव्यू

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राणा प्रताप की तलवार -श्याम नारायण पाण्डेय





चढ़ चेतक पर तलवार उठा,
रखता था भूतल पानी को।
राणा प्रताप सिर काट काट,
करता था सफल जवानी को॥

कलकल बहती थी रणगंगा,
अरिदल को डूब नहाने को।
तलवार वीर की नाव बनी,
चटपट उस पार लगाने को॥

वैरी दल को ललकार गिरी,
वह नागिन सी फुफकार गिरी।
था शोर मौत से बचो बचो,
तलवार गिरी तलवार गिरी॥

पैदल, हयदल, गजदल में,
छप छप करती वह निकल गई।
क्षण कहाँ गई कुछ पता न फिर,
देखो चम-चम वह निकल गई॥

क्षण इधर गई क्षण उधर गई,
क्षण चढ़ी बाढ़ सी उतर गई।
था प्रलय चमकती जिधर गई,
क्षण शोर हो गया किधर गई॥

लहराती थी सिर काट काट,
बलखाती थी भू पाट पाट।
बिखराती अवयव बाट बाट,
तनती थी लोहू चाट चाट॥


क्षण भीषण हलचल मचा मचा,
राणा कर की तलवार बढ़ी।
था शोर रक्त पीने को यह,
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वीरों का कैसा हो वसंत - सुभद्राकुमारी चौहान




आ रही हिमालय से पुकार
है उदधि गरजता बार बार
प्राची पश्चिम भू नभ अपार;
सब पूछ रहें हैं दिग-दिगन्त
वीरों का कैसा हो वसंत

फूली सरसों ने दिया रंग
मधु लेकर आ पहुंचा अनंग
वधु वसुधा पुलकित अंग अंग;
है वीर देश में किन्तु कंत
वीरों का कैसा हो वसंत

भर रही कोकिला इधर तान
मारू बाजे पर उधर गान
है रंग और रण का विधान;
मिलने को आए आदि अंत
वीरों का कैसा हो वसंत

गलबाहें हों या कृपाण
चलचितवन हो या धनुषबाण
हो रसविलास या दलितत्राण;
अब यही समस्या है दुरंत
वीरों का कैसा हो वसंत

कह दे अतीत अब मौन त्याग
लंके तुझमें क्यों लगी आग
ऐ कुरुक्षेत्र अब जाग जाग;
बतला अपने अनुभव अनंत
वीरों का कैसा हो वसंत

हल्दीघाटी के शिला खण्ड
ऐ दुर्ग सिंहगढ़ के प्रचंड
राणा ताना का कर घमंड;
दो जगा आज स्मृतियां ज्वलंत
वीरों का कैसा हो वसंत

भूषण अथवा कवि चंद नहीं
बिजली भर दे वह छन्द नहीं
है कलम बंधी स्वच्छंद नहीं;
फिर हमें बताए कौन हन्त
*************
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कृष्ण की चेतावनी -रामधारी सिंह "दिनकर"





वर्षों तक वन में घूम-घूम,
बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,
पांडव आये कुछ और निखर।
सौभाग्य न सब दिन सोता है,
देखें, आगे क्या होता है।

मैत्री की राह बताने को,
सबको सुमार्ग पर लाने को,
दुर्योधन को समझाने को,
भीषण विध्वंस बचाने को,
भगवान् हस्तिनापुर आये,
पांडव का संदेशा लाये।

‘दो न्याय अगर तो आधा दो,
पर, इसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पाँच ग्राम,
रक्खो अपनी धरती तमाम।
हम वहीं खुशी से खायेंगे,
परिजन पर असि न उठायेंगे!

दुर्योधन वह भी दे ना सका,
आशीष समाज की ले न सका,
उलटे, हरि को बाँधने चला,
जो था असाध्य, साधने चला।
जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।

हरि ने भीषण हुंकार किया,
अपना स्वरूप-विस्तार किया,
डगमग-डगमग दिग्गज डोले,
भगवान् कुपित होकर बोले-
‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे,
हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।

यह देख, गगन मुझमें लय है,
यह देख, पवन मुझमें लय है,
मुझमें विलीन झंकार सकल,
मुझमें लय है संसार सकल।
अमरत्व फूलता है मुझमें,
संहार झूलता है मुझमें।

‘उदयाचल मेरा दीप्त भाल,
भूमंडल वक्षस्थल विशाल,
भुज परिधि-बन्ध को घेरे हैं,
मैनाक-मेरु पग मेरे हैं।
दिपते जो ग्रह नक्षत्र निकर,
सब हैं मेरे मुख के अन्दर।

‘दृग हों तो दृश्य अकाण्ड देख,
मुझमें सारा ब्रह्माण्ड देख,
 
चर-अचर जीव, जग, क्षर-अक्षर,
नश्वर मनुष्य सुरजाति अमर।
शत कोटि सूर्य, शत कोटि चन्द्र,
शत कोटि सरित, सर, सिन्धु मन्द्र।

‘शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश,
शत कोटि जिष्णु, जलपति, धनेश,
शत कोटि रुद्र, शत कोटि काल,
शत कोटि दण्डधर लोकपाल।

‘भाई पर भाई टूटेंगे,
विष-बाण बूँद-से छूटेंगे,
वायस-श्रृगाल सुख लूटेंगे,
सौभाग्य मनुज के फूटेंगे।
आखिर तू भूशायी होगा,
हिंसा का पर, दायी होगा।’

थी सभा सन्न, सब लोग डरे,
चुप थे या थे बेहोश पड़े।
केवल दो नर ना अघाते थे,
धृतराष्ट्र-विदुर सुख पाते थे।
कर जोड़ खड़े प्रमुदित,
निर्भय, दोनों पुकारते थे ‘जय-जय’!
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6.8.19

ले चल वहाँ भुलावा देकर:जयशंकर प्रसाद




ले चल वहाँ भुलावा देकर
मेरे नाविक ! धीरे-धीरे ।
जिस निर्जन में सागर लहरी,
अम्बर के कानों में गहरी,
निश्छल प्रेम-कथा कहती हो-
तज कोलाहल की अवनी रे ।
जहाँ साँझ-सी जीवन-छाया,
ढीली अपनी कोमल काया,
नील नयन से ढुलकाती हो-
ताराओं की पाँति घनी रे ।

जिस गम्भीर मधुर छाया में,
विश्व चित्र-पट चल माया में,
विभुता विभु-सी पड़े दिखाई-
दुख-सुख बाली सत्य बनी रे ।
श्रम-विश्राम क्षितिज-वेला से
जहाँ सृजन करते मेला से,
अमर जागरण उषा नयन से-
बिखराती हो ज्योति घनी रे !
ले चल वहाँ भुलावा देकर


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