काव्य-मंजूषा

कविता हमारे मनोभावों को उच्छवासित करके हमारे जीवन में एक नया जीव डाल देती है। हम सृष्टि के सौन्दर्य को देखकर मोहित होने लगते हैं।कविता के द्वारा हम संसार के सुख, दुःख, आनन्द और क्लेश आदि यथार्थ रूप से अनुभव कर सकते हैं. -Dr.Dayaram Aalok,M.A.,Ayurved Ratna,D.I.Hom(London)

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जयशंकर प्रसाद - काव्य-मंजूषा

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बालकवि बैरागी - काव्य-मंजूषा

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कबीर - काव्य-मंजूषा

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सुमित्रानंदन पंत - काव्य-मंजूषा

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संतोषानन्द - काव्य-मंजूषा

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ध्वज फहराएंगे - काव्य-मंजूषा

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श्याम नारायण पाण्डेय - काव्य-मंजूषा

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सुमन कैसे सौरभीले - काव्य-मंजूषा

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सूरदास के पद - काव्य-मंजूषा

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वेणु का स्वर - काव्य-मंजूषा

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