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31.12.18

मुझको भी राधा बना ले नंदलाल - बालकवि बैरागी

                                                  



मुझको भी राधा बना ले नंदलाल
हो नंदलाल, रे नंदलाल

संग संग चढ़ाऊँगी नंदजी की गैयाँ
आठों पहर लूँगी तेरी बलैयाँ
बन के रहूँगी छबीली तेरी छैयाँ
मन के महल में रखूँगी नटखट
तुझे लाखों जनम लाखों साल
हो रे नंदलाल, रे नंदलाल
मुझ को भी राधा बना ले नंदलाल

मुझको भी राधा बना ले नंदलाल

यशोदा की अँगना मैं दूँगी बुहारी
तेरी मुरलिया को दूँगी न गारी
मटकी लुटा दूँगी माखन की सारी
बंसी बजैया ...
बंसी बजैया ओ रे कन्हैया
मुझ को भी कर दे निहाल
मुझको भी राधा ...

चरणों में तेरे लिपटके रहूँगी
तेरा दिया हर सुख\-दुख सहूँगी
छलिये तुझे कभी कुछ ना कहूँगी
जमुना किनारे ...
जमुना किनारे रखूँगी सजाके
काया का केसरिया थाल

मुझको भी राधा ..






तू चंदा मैं चांदनी, तू तरुवर मैं शाख रे - बालकवि बैरागी

                                                      



तू चंदा मैं चांदनी, तू तरुवर मैं शाख रे
तू बादल मैं बिजुरी, तू पंछी मैं पात रे

ना सरोवर, ना बावड़ी, ना कोई ठंडी छांव
ना कोयल, ना पपीहरा, ऐसा मेरा गांव रे
कहाँ बुझे तन की तपन, ओ सैयां सिरमोल रे
चंद्र-किरन तो छोड़ कर, जाए कहाँ चकोर
जाग उठी है सांवरे, मेरी कुआंरी प्यास रे
(पिया) अंगारे भी लगने लगे आज मुझे मधुमास रे

तुझे आंचल मैं रखूँगी ओ सांवरे
काली अलकों से बाँधूँगी ये पांव रे
चल बैयाँ वो डालूं की छूटे नहीं
मेरा सपना साजन अब टूटे नहीं
मेंहदी रची हथेलियाँ, मेरे काजर-वाले नैन रे
(पिया) पल पल तुझे पुकारते, हो हो कर बेचैन रे

ओ मेरे सावन साजन, ओ मेरे सिंदूर
साजन संग सजनी बनी, मौसम संग मयूर
चार पहर की चांदनी, मेरे संग बिठा
अपने हाथों से पिया मुझे लाल चुनर उढ़ा
केसरिया धरती लगे, अम्बर लालम-लाल रे
अंग लगा कर साहिब रे, कर दे मुझे निहाल रे
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