14.7.22

अब जागो जीवन के प्रभात!:Jai Shankar Prasad



अब जागो जीवन के प्रभात!


वसुधा पर ओस बने बिखरे


हिमकन आँसू जो क्षोभ भरे


ऊषा बटोरती अरुण गात!


अब जागो जीवन के प्रभात!


तम-नयनों की ताराएँ सब—


मुँद रही किरण दल में हैं अब,


चल रहा सुखद यह मलय वात!


अब जागो जीवन के प्रभात!


रजनी की लाज समेटो तो,


कलरव से उठ कर भेंटो तो,


अरुणांचल में चल रही बात।


अब जागो जीवन के प्रभात!