नवज्योति जयपुर अखबार में प्रकाशित डॉ.दयाराम आलोक की रचना-
हिन्दू मंदिरों और मुक्ति धाम को सीमेंट बैंच दान का सिलसिला
दामोदर चिकित्सालय शामगढ़ के आशु लाभकारी उत्पाद
प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि
सेक्स का महारथी बनाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे
आर्थराइटिस(संधिवात),गठियावात ,सायटिका की तुरंत असर हर्बल औषधि
सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि
तिल्ली बढ़ जाने के आयुर्वेदिक नुस्खे
नक्षत्रों की ज्योति मेघ का मुक्त हास धरती पर लाएं,
आओ दीप जलाकर जग को मंगलमय सद्पथ दिखलाएं।
युग बीते जग देख रहा है चकाचौंध जगमग दीवाली,
युद्ध द्रश्य है इधर ज्योति और उधर तिमिर मावस मतवाली।
नष्ट करो मालिन्य प्रसारो उज्वलता जगती ने जाना,
शृंगारित घर आंगन गलियां हुआ नयन रंजक वीराना।
अंधियारे के अधिवासों पर आओ दीप शिखा लहराएं,
आओ दीप जलाकर जग को मंगलमय सद्पथ दिखलाएं।
बाहर की सुन्दरता देखी अब अंतर की आंखे खोलो
घृणा,ग्लानि,ईर्षा ,दुर्गुण सब स्नेह,सत्य,समता से धोलो।
दीवाली का रूप हो जिसमें हर अभाव वैभव को छूले,
सम्प्रदाय-विद्वेष,ढोंग और कलुशित वर्ग विषमता भूलें।
यह प्रकाश वेला अति पावन सौहार्द्रिक सद्भाव जगाएं,
आओ दीप जलाकर जग को मंगलमय सद्पथ दिखलाएं।
ज्योतित जग में आज निहारो अश्रुपूर्ण लोचन कितने हैं,
वैभव के पोषक बेचारे दलित,क्षुधित पंजर कितने हैं।
हम न विचारें ऐसे मसले तब तक यह दीपक मेला है,
विस्फ़ोटक द्रव्यों से मानव खुश किन्तु प्रलय झेला है।
दयानंद,सुकरात दीप हैं जो सदियों तक राह दिखाएं,
आओ दीप जलाकर जग को मंगलमय सद्पथ दिखलाएं।
तुम मत ऐसे दीप जलाओ जिससे अंधकार उकसाए,
लुत्फ़ उठाना ठीक नहीं जो मजबूरों के दिल तडफ़ाए।
उन्हें मनाने दो दीवाली जिन्हें न खुशियां रास हुई हैं,
उन खुशियों को जीवन दे दो जो खुशियां बर्बाद हुई हैं।
ज्योति पर्व आवाहन करता जन मन दर्पण स्वच्छ बानाएं,
आओ दीप जलाकर जग को मंगलमय सद्पथ दिखलाएं।
आओ दीप जलाकर जग को मंगलमय सद्पथ दिखलाएं।
युग बीते जग देख रहा है चकाचौंध जगमग दीवाली,
युद्ध द्रश्य है इधर ज्योति और उधर तिमिर मावस मतवाली।
नष्ट करो मालिन्य प्रसारो उज्वलता जगती ने जाना,
शृंगारित घर आंगन गलियां हुआ नयन रंजक वीराना।
अंधियारे के अधिवासों पर आओ दीप शिखा लहराएं,
आओ दीप जलाकर जग को मंगलमय सद्पथ दिखलाएं।
बाहर की सुन्दरता देखी अब अंतर की आंखे खोलो
घृणा,ग्लानि,ईर्षा ,दुर्गुण सब स्नेह,सत्य,समता से धोलो।
दीवाली का रूप हो जिसमें हर अभाव वैभव को छूले,
सम्प्रदाय-विद्वेष,ढोंग और कलुशित वर्ग विषमता भूलें।
यह प्रकाश वेला अति पावन सौहार्द्रिक सद्भाव जगाएं,
आओ दीप जलाकर जग को मंगलमय सद्पथ दिखलाएं।
ज्योतित जग में आज निहारो अश्रुपूर्ण लोचन कितने हैं,
वैभव के पोषक बेचारे दलित,क्षुधित पंजर कितने हैं।
हम न विचारें ऐसे मसले तब तक यह दीपक मेला है,
विस्फ़ोटक द्रव्यों से मानव खुश किन्तु प्रलय झेला है।
दयानंद,सुकरात दीप हैं जो सदियों तक राह दिखाएं,
आओ दीप जलाकर जग को मंगलमय सद्पथ दिखलाएं।
तुम मत ऐसे दीप जलाओ जिससे अंधकार उकसाए,
लुत्फ़ उठाना ठीक नहीं जो मजबूरों के दिल तडफ़ाए।
उन्हें मनाने दो दीवाली जिन्हें न खुशियां रास हुई हैं,
उन खुशियों को जीवन दे दो जो खुशियां बर्बाद हुई हैं।
ज्योति पर्व आवाहन करता जन मन दर्पण स्वच्छ बानाएं,
आओ दीप जलाकर जग को मंगलमय सद्पथ दिखलाएं।
*******************
हिन्दू मंदिरों और मुक्ति धाम को सीमेंट बैंच दान का सिलसिला
दामोदर चिकित्सालय शामगढ़ के आशु लाभकारी उत्पाद
प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि
सेक्स का महारथी बनाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे
आर्थराइटिस(संधिवात),गठियावात ,सायटिका की तुरंत असर हर्बल औषधि
सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि
तिल्ली बढ़ जाने के आयुर्वेदिक नुस्खे