27.6.23

तमने मेरे दिल को पुकारा है लिरिक्स विडियो Singer: Deshbhakt Shamgarh

 


तमने मेरे दिल को पुकारा है 

Song Name : Tum Ko Mere Dil Ne Pukara
Album / Movie : Rafoo Chakkar 1975
Star Cast : Rishi Kapoor, Neetu Singh, Madan Puri, Rajendranath, Paintal
Singer : Harbinder Nerobi  and Dilip Deshbhakt Shamgarh 
Music Director : Jaikishan Dayabhai Panchal, Shankar Singh Raghuvanshi
Lyrics by : Gulshan Bawra (Gulshan Kumar Mehta)





तुमको मेरे दिल ने
तुमको मेरे दिल ने
पुकारा है बड़े नाज़ से
अपनी आवाज़ मिला दो
अपनी आवाज़ मिला दो
मेरी आवाज़ से
तुमको मेरे दिल ने
पुकारा है बड़े नाज़ से
अपनी आवाज़ मिला दो
अपनी आवाज़ मिला दो
मेरी आवाज़ से
तुमको मेरे दिल ने

मुझको पहली नज़र
में लगा है यूँ
मुझको पहली नज़र
में लगा है यूँ
साथ सदियों पुराना है अपना
और सदियो ही रहना पड़ेगा
तुमको बनके इन
आँखों का सपना
निभाके सनम
अपनी आवाज़ मिला
दो मेरी आवाज़ से
तुमको मेरे दिल ने
पुकारा है बड़े नाज़ से
अपनी आवाज़ मिला
दो मेरी आवाज़ से
तुमको मेरे दिल ने

प्यार की इन हसीं वादियों में
प्यार की इन हसीं वादियों में
झूम के यु ही मिलते रहेंगे
ज़िन्दगी के दुहने सफर में
हमसफ़र बनके चलते रहेंगे
इस दिल के अरमा जगके सनम
मुझको बाहों की
रहो में लेक सनम
अपनी आवाज़ मिला
दो मेरी आवाज़ से
तुमको मेरे दिल ने
पुकारा है बड़े नाज़ से
अपनी आवाज़ मिला
दो मेरी आवाज़ से
तुमको मेरे दिल ने.




19.4.23

अरे कहीं देखा है तुमने:जयशंकर प्रसाद







जयशंकर प्रसाद










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अरे कहीं देखा है तुमने

मुझे प्यार करने वाले को?

मेरी आँखों में आकर फिर

आँसू बन ढरने वाले को?


सूने नभ में आग जलाकर

यह सुवर्ण-सा हृदय गला कर

जीवन संध्या को नहला कर

रिक्त जलधि भरने वाले को?


रजनी के लघु-लघु तम कन में

जगती की ऊष्मा के वन में

उस पर पड़ते तुहिन सघन में

छिप, मुझसे डरने वाले के?


निष्ठुर खेलों पर जो अपने

रहा देखता सुख के सपने

आज लगा है क्यों वह कँपने

23.2.23

नर हो, न निराश करो मन को:Maithilisharn gupt







नर हो, न निराश करो मन को

कुछ काम करो, कुछ काम करो
जग में रह कर कुछ नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो, न निराश करो मन को।

संभलो कि सुयोग न जाय चला
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला
समझो जग को न निरा सपना
पथ आप प्रशस्त करो अपना
अखिलेश्वर है अवलंबन को
नर हो, न निराश करो मन को।

जब प्राप्त तुम्हें सब तत्त्व यहाँ
फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ
तुम स्वत्त्व सुधा रस पान करो
उठके अमरत्व विधान करो
दवरूप रहो भव कानन को
नर हो न निराश करो मन को।

निज गौरव का नित ज्ञान रहे
हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे
मरणोंत्‍तर गुंजित गान रहे
सब जाय अभी पर मान रहे
कुछ हो न तजो निज साधन को
नर हो, न निराश करो मन को।

प्रभु ने तुमको कर दान किए
सब वांछित वस्तु विधान किए
तुम प्राप्‍त करो उनको न अहो
फिर है यह किसका दोष कहो
समझो न अलभ्य किसी धन को
नर हो, न निराश करो मन को।

किस गौरव के तुम योग्य नहीं
कब कौन तुम्हें सुख भोग्य नहीं
जन हो तुम भी जगदीश्वर के
सब है जिसके अपने घर के
फिर दुर्लभ क्या उसके जन को
नर हो, न निराश करो मन को।

करके विधि वाद न खेद करो
निज लक्ष्य निरन्तर भेद करो
बनता बस उद्‌यम ही विधि है
मिलती जिससे सुख की निधि है
समझो धिक् निष्क्रिय जीवन को
नर हो, न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो।