काव्य-मंजूषा

कविता हमारे मनोभावों को उच्छवासित करके हमारे जीवन में एक नया जीव डाल देती है। हम सृष्टि के सौन्दर्य को देखकर मोहित होने लगते हैं।कविता के द्वारा हम संसार के सुख, दुःख, आनन्द और क्लेश आदि यथार्थ रूप से अनुभव कर सकते हैं. -Dr.Dayaram Aalok,M.A.,Ayurved Ratna,D.I.Hom(London)

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23.2.23

नर हो, न निराश करो मन को:Maithilisharn gupt







नर हो, न निराश करो मन को

कुछ काम करो, कुछ काम करो
जग में रह कर कुछ नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो, न निराश करो मन को।

संभलो कि सुयोग न जाय चला
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला
समझो जग को न निरा सपना
पथ आप प्रशस्त करो अपना
अखिलेश्वर है अवलंबन को
नर हो, न निराश करो मन को।

जब प्राप्त तुम्हें सब तत्त्व यहाँ
फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ
तुम स्वत्त्व सुधा रस पान करो
उठके अमरत्व विधान करो
दवरूप रहो भव कानन को
नर हो न निराश करो मन को।

निज गौरव का नित ज्ञान रहे
हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे
मरणोंत्‍तर गुंजित गान रहे
सब जाय अभी पर मान रहे
कुछ हो न तजो निज साधन को
नर हो, न निराश करो मन को।

प्रभु ने तुमको कर दान किए
सब वांछित वस्तु विधान किए
तुम प्राप्‍त करो उनको न अहो
फिर है यह किसका दोष कहो
समझो न अलभ्य किसी धन को
नर हो, न निराश करो मन को।

किस गौरव के तुम योग्य नहीं
कब कौन तुम्हें सुख भोग्य नहीं
जन हो तुम भी जगदीश्वर के
सब है जिसके अपने घर के
फिर दुर्लभ क्या उसके जन को
नर हो, न निराश करो मन को।

करके विधि वाद न खेद करो
निज लक्ष्य निरन्तर भेद करो
बनता बस उद्‌यम ही विधि है
मिलती जिससे सुख की निधि है
समझो धिक् निष्क्रिय जीवन को
नर हो, न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो।




**पित्ताशय की पथरी (Gallstones) की रामबाण औषधि 

किडनी फेल ,गुर्दे ख़राब की जीवन रक्षक हर्बल औषधि

सायटिका रोग किस औषधि से ठीक होता है?

भारत के  मन्दिरों और मुक्ति धाम हेतु शामगढ़ के समाजसेवी  द्वारा दान की विस्तृत श्रृंखला 

दामोदर चिकित्सालय शामगढ़ के आशु लाभकारी उत्पाद

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

गठिया,संधिवात,सायटिका का परमानेंट इलाज 

सेक्स का महारथी बनाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे


आर्थराइटिस(संधिवात),गठियावात ,सायटिका की तुरंत असर हर्बल औषधि

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

तिल्ली बढ़ जाने के आयुर्वेदिक नुस्खे

डॉ.दयाराम आलोक की जीवन गाथा 

यौन शक्ति बढ़ाने के अचूक घरेलू उपाय/sex power

कई बीमारियों से मुक्ति द‍िलाने वाला है गिलोय


स्तनों की कसावट और सुडौल बनाने के उपाय

लीवर रोगों के अचूक हर्बल इलाज

गांधी के अमृत वचन हमें अब याद नहीं - डॉ॰दयाराम आलोक***************

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2.8.22

काव्य मंजूषा ब्लॉग की 241 रचनाओं की लिंक्स

 


जयशंकर प्रसाद - काव्य-मंजूषा

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बालकवि बैरागी - काव्य-मंजूषा

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कबीर - काव्य-मंजूषा

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सुमित्रानंदन पंत - काव्य-मंजूषा

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संतोषानन्द - काव्य-मंजूषा

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ध्वज फहराएंगे - काव्य-मंजूषा

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श्याम नारायण पाण्डेय - काव्य-मंजूषा

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सुमन कैसे सौरभीले - काव्य-मंजूषा

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सूरदास के पद - काव्य-मंजूषा

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वेणु का स्वर - काव्य-मंजूषा

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14.7.22

अब जागो जीवन के प्रभात!:Jai Shankar Prasad



अब जागो जीवन के प्रभात!


वसुधा पर ओस बने बिखरे


हिमकन आँसू जो क्षोभ भरे


ऊषा बटोरती अरुण गात!


अब जागो जीवन के प्रभात!


तम-नयनों की ताराएँ सब—


मुँद रही किरण दल में हैं अब,


चल रहा सुखद यह मलय वात!


अब जागो जीवन के प्रभात!


रजनी की लाज समेटो तो,


कलरव से उठ कर भेंटो तो,


अरुणांचल में चल रही बात।


अब जागो जीवन के प्रभात!


यह वासंती शाम हमारे प्रथम मिलन सी सुख प्रद सुन्दर! ऑडियो

पित्ताशय की पथरी (Gallstones) की रामबाण औषधि 

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4.12.21

प्रकृति की लीला न्यारी-नरेंद्र वर्मा





प्रकृति की लीला न्यारी,

कहीं बरसता पानी, बहती नदियां,
कहीं उफनता समंद्र है,
तो कहीं शांत सरोवर है।

प्रकृति का रूप अनोखा कभी,
कभी चलती साए-साए हवा,
तो कभी मौन हो जाती,
प्रकृति की लीला न्यारी है।

कभी गगन नीला, लाल, पीला हो जाता है,
तो कभी काले-सफेद बादलों से घिर जाता है,
प्रकृति की लीला न्यारी है।

कभी सूरज रोशनी से जग रोशन करता है,

तो कभी अंधियारी रात में चाँद तारे टिम टिमाते है,
प्रकृति की लीला न्यारी है।

कभी सुखी धरा धूल उड़ती है,
तो कभी हरियाली की चादर ओढ़ लेती है,
प्रकृति की लीला न्यारी है।


कहीं सूरज एक कोने में छुपता है,
तो दूसरे कोने से निकलकर चोंका देता है,
प्रकृति की लीला न्यारी है।

****************

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30.7.21

ओला-मैथिली शरण गुप्त






एक सफेद बड़ा-सा ओला,था मानो हीरे का गोला!
हरी घास पर पड़ा हुआ था,
वहीं पास मैं खड़ा हुआ था!
मैंने पूछा क्या है भाई,
तब उसने यों कथा सुनाई!
जो मैं अपना हाल बताऊँ,
कहने में भी लज्जा पाऊँ!
पर मैं तुझै सुनाऊँगा सब,
कुछ भी नहीं छिपाऊँगा अब!
जो मेरा इतिहास सुनेंगे,
वे उससे कुछ सार चुनेंगे!
यद्यपि मैं न अब रहा कहीं का,
वासी हूँ मैं किंतु यहीं का!
सूरत मेरी बदल गई है,
दीख रही वह तुम्हें नई है!
मुझमें आर्द्रभाव था इतना,
जल में हो सकता है जितना।
मैं मोती-जैसा निर्मल था,
तरल किंतु अत्यंत सरल था!
****************

पाटीदार जाति की जानकारी

साहित्यमनीषी डॉ.दयाराम आलोक से इंटरव्यू

कुलदेवी का महत्व और जानकारी

ढोली(दमामी,नगारची ,बारेठ)) जाती का इतिहास

रजक (धोबी) जाती का इतिहास

जाट जाति की जानकारी और इतिहास

किडनी फेल (गुर्दे खराब ) की रामबाण औषधि

किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

सायटिका रोग की रामबाण हर्बल औषधि

बांछड़ा जाती की जानकारी

नट जाति की जानकारी

बेड़िया जाति की जानकारी

सांसी जाती का इतिहास

हिन्दू मंदिरों और मुक्ति धाम को दयाराम अलोक द्वारा सीमेंट बैंच दान का सिलसिला

जांगड़ा पोरवाल समाज की गोत्र और भेरुजी के स्थल

रैबारी समाज का इतिहास ,गोत्र एवं कुलदेवियां

कायस्थ समाज की कुलदेवियाँ

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10.1.20

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा:Nida Fazli Ghazal Lyrics



हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा

किससे पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ बरसों से
हर जगह ढूँधता फिरता है मुझे घर मेरा

एक से हो गए मौसमों के चेहरे सारे
मेरी आँखों से कहीं खो गया मंज़र मेरा

मुद्दतें बीत गईं ख़्वाब सुहाना देखे
जागता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा

आईना देखके निकला था मैं घर से बाहर
आज तक हाथ में महफ़ूज़ है पत्थर मेर ा

  • भारत के  मन्दिरों और मुक्ति धाम हेतु शामगढ़ के समाजसेवी  द्वारा दान की विस्तृत श्रृंखला 
  • पाटीदार जाति की जानकारी

    साहित्यमनीषी डॉ.दयाराम आलोक से इंटरव्यू

    गायत्री शक्तिपीठ शामगढ़ मे बालकों को पुरुष्कार वितरण

    कुलदेवी का महत्व और जानकारी

    ढोली(दमामी,नगारची ,बारेठ)) जाती का इतिहास

    रजक (धोबी) जाती का इतिहास

    जाट जाति की जानकारी और इतिहास

    किडनी फेल (गुर्दे खराब ) की रामबाण औषधि

    किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

    प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

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    रैबारी समाज का इतिहास ,गोत्र एवं कुलदेवियां

    कायस्थ समाज की कुलदेवियाँ

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  • धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
  • ओला-मैथिली शरण गुप्त
  • JANUARY 10, 2020 हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा-
  • अबके बरस भी वो नहीं आये बहार में-पयाम सईदी
  • हम दोस्ती एहसान वफ़ा भूल गए हैं -पयाम सईदी
  • काँटों से दामन उलझाना मेरी आदत है-पयाम सईदी
  • आपके दिल ने हमें आवाज दी हम आ गए-पयाम सईदी
  • तेरा चेहरा है आईने जैसा-पयाम सईदी
  • इंतहा आज इश्क़ की कर दी--पयाम सईदी
  • कभी गुंचा कभी शोला -राना सहरी
  • उन्हें मनाने दो दीवाली-- डॉ॰दयाराम आलोक
  • स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से -गोपालदास "नीरज"
  • यात्रा और यात्री - हरिवंशराय बच्चन
  • शक्ति और क्षमा - रामधारी सिंह "दिनकर"
  • आओ आज करें अभिनंदन.- डॉ॰दयाराम आलोक
  • राणा प्रताप की तलवार -श्याम नारायण पाण्डेय
  • वीरों का कैसा हो वसंत - सुभद्राकुमारी चौहान
  • कृष्ण की चेतावनी -रामधारी सिंह "दिनकर"
  • ले चल वहाँ भुलावा देकर - जयशंकर प्रसाद
  • कलम, आज उनकी जय बोल -रामधारी सिंह "दिनकर"
  • आह! वेदना मिली विदाई-जयशंकर प्रसाद
  • सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोसिताँ हमारा-अल्लामा इकबाल
  • अश्रु यह पानी नहीं है-महादेवी वर्मा
  • कुछ बातें अधूरी हैं, कहना भी ज़रूरी है-- राहुल प्रसाद (महुलिया पलामू)
  • पथहारा वक्तव्य - अशोक वाजपेयी
  • कितने दिन और बचे हैं? - अशोक वाजपेयी
  • राधे राधे श्याम मिला दे -भजन
  • ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का
  • हम आपके हैं कौन - बाबुल जो तुमने सिखाया-Ravindra Jain
  • नदिया के पार - जब तक पूरे न हो फेरे सात-Ravidra jain
  • ऐसे हैं सुख सपन हमारे - नरेन्द्र शर्मा
  • अँखियों के झरोखों से - रविन्द्र जैन
  • गंगा, बहती हो क्यूँ - नरेन्द्र शर्मा
  • कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया - साहिर लुधियानवी
  • किसी पत्थर की मूरत से मुहब्बत का इरादा है - साहिर लुधियानवी
  • इस रेशमी पाज़ेब की झंकार के सदके - साहिर लुधियानवी
  • जब दीप जले आना जब शाम ढले आना - रविन्द्र जैन
  • अब कोई गुलशन ना उजड़े - साहिर लुधियानवी
  • कोशिश करने वालों की हार नहीं होती - सोहनलाल द्विवेदी
  • तुमने मेरी चिर साधों को झंकृत और साकार किया है.- डॉ॰दयाराम आलोक
  • वह देश कौन सा है - रामनरेश त्रिपाठी
  • बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ -महादेवी वर्मा
  • मधुर-मधुर मेरे दीपक जल - महादेवी वर्मा
  • औरत पालने को कलेजा चाहिये - शैल चतुर्वेदी
  • कवि सम्मेलन, टुकड़े-टुकड़े हूटिंग - शैल चतुर्वेदी
  • गांधी की गीता - शैल चतुर्वेदी
  • तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार -शिवमंगलसिंह सुमन
  • मैं बढ़ा ही जा रहा हूँ-शिवमंगल सिंह 'सुमन
  • हम पंछी उन्मुक्त गगन के-शिवमंगल सिंह 'सुमन'
  • जंगल गाथा -अशोक चक्रधर
  • मेमने ने देखे जब गैया के आंसू - अशोक चक्रधर
  • सूरदास के पद
  • यह वासंती शाम -डॉ.आलोक
  • सरहदें बुला रहीं.- डॉ॰दयाराम आलोक
  • घाघ कवि के दोहे -घाघ
  • घाघ कवि के दोहे -घाघ
  • गाढे अंधेरे में , अशोक वाजपेयी
  • मुझको भी राधा बना ले नंदलाल - बालकवि बैरागी
  • बादल राग -सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
  • प्रेयसी-सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
  • ग्राम नारी - सुमित्रानंदन पंत
  • ग्राम - सुमित्रानंदन पंत
  • जाड़े की धूप - सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
  • शुभकामनाएँ - सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
  • राम की शक्ति पूजा -सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
  • साँसो का हिसाब -शिव मंगल सिंग 'सुमन"
  • आत्‍मकथ्‍य - जयशंकर प्रसाद
  • बिहारी कवि के दोहे
  • झुकी कमान -चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी'
  • कबीर की साखियाँ - कबीर
  • गुरु-महिमा - कबीर
  • रात और प्रभात.-डॉ॰दयाराम आलोक
  • भक्ति महिमा के दोहे -कबीर दास
  • लगता नहीं है जी मेरा - ज़फ़र
  • ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया - दाग़ देहलवी
  • तु कभी थे सूर्य - चंद्रसेन विराट
  • बीती विभावरी जाग री! jai shankar prasad
  • हिमालय के आँगन में - jay shankar prasad
  • हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
  • मैं अमर शहीदों का चारण-श्री कृष्ण सरल
  • हम पंछी उन्मुक्त गगन के -- शिवमंगल सिंह सुमन
  • रश्मिरथी - रामधारी सिंह दिनकर
  • सुदामा चरित - नरोत्तम दास
  • बड़े अरमान से रखा है बलम तेरी कसम- इंदीवर
  • अरुण यह मधुमय देश हमारा -जय शंकर प्रसाद
  • बन्द करो मधु की ,गोपालदास "नीरज"
  • स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से ,गोपालदास "नीरज"
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  • उर्वशी /रामधारी सिंह 'दिनकर'
     उर्वशी : रामधारी सिंह 'दिनकर' पात्र परिचय पुरुष पुरुरवा: वेदकालीन, प्रतिष्ठानपुर के विक्रमी ऐल राजा, नायक ...
  • सुदामा चरित - नरोत्तम दास
    भाग-1 प्रेरक वार्तालाप (मंगलाचरण) गनपति कृपानिधान विद्या वेद विवेक जुत । छेहु मोहिं वरदान हर्ष सहित हरिगुन कहौ ।।1।। हरिचरित ब...
  • पंचवटी / मैथिलीशरण गुप्त/ पेज 1 से 6
    पूज्य पिता के सहज सत्य पर, वार सुधाम, धरा, धन को, चले राम, सीता भी उनके, पीछे चलीं गहन वन को। उनके पीछे भी लक्ष्मण थे, कहा राम ने कि ...

सेहत समस्या एवं समाधान

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लेबल

  • -जय शंकर प्रसाद
  • 'क़मर' मुरादाबादी
  • 1953
  • अँखियों के झरोखों से
  • अँजुरी भर धूप
  • अज्ञेय
  • अब कोई गुलशन ना उजड़े
  • अब जागो जीवन के प्रभात!
  • अबके बरस भी वो नहीं आये बहार में-पयाम सईदी
  • अरुण यह मधुमय देश हमारा
  • अरे कहीं देखा है तुमने
  • अलबेलों का मस्तानों का
  • अल्लामा इकबाल
  • अशोक चक्रधर
  • अशोक वाजपेयी
  • अश्रु यह पानी नहीं है
  • आओ आज करें अभिनंदन
  • आज उनकी जय बोल - रामधारी सिंह "दिनकर"
  • आत्‍मकथ्‍य
  • आपके दिल ने हमें आवाज दी हम आ गए
  • आह! वेदना मिली विदाई
  • इंतहा आज इश्क़ की कर दी--पयाम सईदी
  • इस रेशमी पाज़ेब की झंकार के सदके
  • उन्हें मनाने दो दीवाली
  • उर्वशी /रामधारी सिंह 'दिनकर'
  • ऊंचा मस्तक सदा रहेगा
  • एक शहीद बेटे की अपनी माँ के प्रति भावना
  • ऐसे हैं सुख सपन हमारे
  • ओला-मैथिली शरण गुप्त
  • औरत पालने को कलेजा चाहिये
  • कबीर
  • कबीर की साखियाँ
  • कबीर दास
  • कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया
  • कभी गुंचा कभी शोला
  • कलम
  • कवि सम्मेलन टुकड़े-टुकड़े हूटिंग
  • कविता
  • कहना भी ज़रूरी है
  • काँटों से दामन उलझाना मेरी आदत है-पयाम सईदी
  • कामायनी - महाकाव्य -जयशंकर प्रसाद
  • काव्य मंजूषा ब्लॉग की 241 रचनाओं की लिंक्स
  • कितने दिन और बचे हैं?
  • किसी पत्थर की मूरत से मुहब्बत का इरादा है
  • कुछ तो लोग कहेंगे / आनंद बख़्शी
  • कुछ बातें अधूरी हैं
  • कुमार विश्वास
  • कुमुदनी की बंद पांखें
  • कुम्हलाये हैं फूल
  • कृष्ण की चेतावनी
  • कोई दीवाना कहता है (कविता) .कुमार विश्वास
  • कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
  • क्षमा शोभती उस भुजंग को
  • गंगा
  • ग़ज़ब किया तेरे वादे पे ऐतबार किया
  • गजानन माधव मुक्तिबोध
  • गणतंत्र दिवस
  • गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
  • गांधी की गीता
  • गांधी के अमृत वचन हमें अब याद नहीं
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  • घोर धनुर्धर
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  • चढ़ चेतक पर तलवार उठा
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  • ज़फ़र
  • जब तक धरती पर अंधकार मैं दीप जलाता जाऊंगा
  • जब तक पूरे न हो फेरे सात
  • जब दीप जले आना जब शाम ढले आना
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  • जयशंकर प्रसाद
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  • डॉ.आलोक द्वारा 123 विशिष्ट काव्य कृतियों का संगृह
  • डॉ.दयाराम आलोक
  • डॉ.दयाराम आलोक की कविता का विडियो
  • डॉ॰दयाराम आलोक
  • तुम कभी थे सूर्य
  • तुमने मेरी चिर साधों को झंकृत और साकार किया है.
  • तू चंदा मैं चांदनी
  • तू तरुवर मैं शाख रे
  • तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार
  • दाग़ देहलवी
  • दीवाली
  • दुनिया का सबसे ग़रीब आदमी
  • धर्मवीर भारती
  • धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
  • ध्वज फहराएंगे
  • नदिया के पार
  • नर हो न निराश करो मन को
  • नरेंद्र वर्मा
  • नरेन्द्र शर्मा
  • निसिदिन बरसत नैन
  • नौजंवा बढे चलो
  • पंचवटी / मैथिलीशरण गुप्त
  • पंचवटी/मैथिली शरण गुप्त/पृष्ठ 7 से13
  • पथहारा वक्तव्य
  • पाखण्ड मत करो केवल सूत कताई का
  • प्रकृति की लीला न्यारी
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  • प्रथम रश्मि
  • प्रिय प्रवास -अयोध्या सिंह उपाध्याय "हरिओध"
  • प्रेयसी
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  • बड़े अरमान से रखा है बलम तेरी कसम- इंदीवर
  • बन्द करो मधु की
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  • बाबुल जो तुमने सिखाया
  • बाबुल तुम बगिया के तरुवर
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  • मुझे अकेला ही रहने दो
  • मुरझाया फूल - महादेवी वर्मा
  • मेमने ने देखे जब गैया के आंसू
  • मेरा धन है स्वाधीन क़लम
  • मेरी चुनरी उड़ाए लियो जाए
  • मै ना भूलूँगा
  • मैं अमर शहीदों का चारण
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  • मैं बढ़ा ही जा रहा हूँ
  • मैं हूँ अपराधी किस प्रकार?
  • मोहब्बत का जहाँ है और मैं हूँ
  • यह दिया बुझे नहीं
  • यह वासंती शाम हमारे प्रथम मिलन सी सुखप्रद सुंदर
  • यात्रा और यात्री
  • ये देश है वीर जवानों का
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  • रश्मिरथी - रामधारी सिंह दिनकर
  • रहीम कवि
  • रहीम के दोहे
  • राणा प्रताप
  • राणा प्रताप की तलवार
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  • राधे राधे श्याम मिला दे
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  • राम की शक्ति पूजा
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  • रामनरेश त्रिपाठी
  • राहुल प्रसाद (महुलिया पलामू)
  • लगता नहीं है जी मेरा
  • लहर कविता-जय शंकर प्रसाद
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  • वह चिड़िया जो . केदारनाथ अग्रवाल
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  • शिव मंगल सिंग 'सुमन"
  • शिवमंगल सिंह 'सुमन
  • शिवमंगल सिंह 'सुमन'
  • शिवमंगल सिंह सुमन
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  • श्याम नारायण पाण्डेय
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  • साँस चलती है तुझे चलना पड़ेगा ही मुसाफिर!
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  • सोहनलाल द्विवेदी
  • स्वतन्त्रता दिवस
  • स्वप्न झरे फूल से मीत चुभे शूल से
  • हम आपके हैं कौन
  • हम तुम गीत प्रणय के गाएं
  • हम दोस्ती एहसान वफ़ा भूल गए हैं -पयाम सईदी
  • हम पंछी उन्मुक्त गगन के
  • हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
  • हरिवंशराय बच्चन
  • हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
  • हिमालय के आँगन में
  • Harbinder Nerobi
  • jai shankar prasad
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  • Mitti ki Mahima By Shivmangal Singh Suman | मिट्टी की महिमा | शिवमंगल सिंह ‘सुमन’
  • Nar ho na nirash karo man ko
  • panchvati poem -Maithili Sharan Gupt पंचवटी कविता - मैथिली शरण गुप्त
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  • Swatantrata Pukarti स्वतन्त्रता पुकारती जय शंकर प्रसाद का व्यक्तित्व व कृतित्व
  • tumne mere dil ko pukara hai -Singer Deshbhakt Shamgarh

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