हमें पता था
कि खाली हाथ और टूटे हथियार लिए
शिविर में लौटना होगा:
यह भी कि हम जैसे लोग
कभी जीत नहीं पाए-
वे या तो हारते हैं
या खेत रहते हैं-
हम सिर्फ बचे हुए हैं
इस शर्म से कि हमने चुप्पी नहीं साधी,
कि हमने मोर्चा सम्हालने से पहले या हारने के बाद
न तो समर्पण किया, न समझौता:
हम लड़े, हारे और बचे भर हैं!
यह कोई वीरगाथा नहीं है:
इतिहास विजय की कथाएं कहता है,
उसमें प्रतिरोध और पराजय के लिए जगह नहीं होती।
लोग हमारी मूढ़ता पर हंसते हैं-
हमेशा की तरह
वे विजेताओं के जुलूस में
उत्साह से शामिल हैं-
हम भी इस भ्रम से मुक्त होने की कोशिश में हैं
कि हमने अलग से कोई साहस दिखाया:
हम तो कविता और अंत:करण के पाले में रहे
जो आदिकाल से युद्धरत हैं, रहेंगे!
हम पथहारे हैं
पर पथ हमसे कहीं आगे जाता है।
****************
साहित्यमनीषी डॉ.दयाराम आलोक से इंटरव्यू
कुलदेवी का महत्व और जानकारी
ढोली(दमामी,नगारची ,बारेठ)) जाती का इतिहास
रजक (धोबी) जाती का इतिहास
जाट जाति की जानकारी और इतिहास
किडनी फेल (गुर्दे खराब ) की रामबाण औषधि
किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज
प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि
सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि
सायटिका रोग की रामबाण हर्बल औषधि
बांछड़ा जाती की जानकारी
नट जाति की जानकारी
बेड़िया जाति की जानकारी
सांसी जाती का इतिहास
हिन्दू मंदिरों और मुक्ति धाम को दयाराम अलोक द्वारा सीमेंट बैंच दान का सिलसिला
जांगड़ा पोरवाल समाज की गोत्र और भेरुजी के स्थल
रैबारी समाज का इतिहास ,गोत्र एवं कुलदेवियां
कायस्थ समाज की कुलदेवियाँ