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11.2.19

जब दीप जले आना जब शाम ढले आना:रविन्द्र जैन

                                         

जब दीप जले आना, जब शाम ढले आना
सन्देस मिलन का भूल न जाना मेरा प्यार ना बिसराना
जब दीप जले आना ...

नित सांझ सवेरे मिलते हैं
उन्हें देखके तारे खिलते हैं
लेते हैं विदा एक दूजे से कहते हैं चले आना
जब दीप जले आना ...

मैं पलकन डगर बुहारूंगा
तेरी राह निहारूंगा
मेरी प्रीत का काजल तुम अपने नैनों में मले आना
जब दीप जले आना ...

जहां पहली बार मिले थे हम
जिस जगह से संग चले थे हम
नदिया के किनारे आज उसी
अमवा के तले आना
जब दीप जले आना...
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